शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

प्यारी बहना

  प्यारी बहना

मेरी प्यारी नन्हीँ बहना
है वो सारे घर का गहना।

सुंदर मुखङा, गोल-मटोल
चंचल आँखे लगती प्यारी,
ना वो रुकती, ना वो थकती
बातेँ करती ढेर सारी।।
  
उछल कूद कर शोर मचाती
स्कूल से जाने है कतराती,
गुस्से मेँ कुछ कह दो उसको 
पल भर मेँ वो रूठ भी जाती।।

सारा दिन वो रहे खेलती
चाँद भी लगता उसे गुब्बारा,
"मुझे वो लाकर दे दो भइया
नहीँ मांगुगी फिर मेँ दोबारा।।"

ना वो लङती, ना झगङती
मस्ती उस पर रहती छाई,
उसकी बातोँ से घर भी महके
संग खुशियाँ है लेकर आई।।

सदा खुश तुम यूँ ही रहना,
मेरी प्यारी नन्ही बहना।।
               ---गुरप्रीत सिँह.

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