गौमुख यात्रा- 28.01.2018 रविवार
श्याम सुंदर, मनोज राजोरा, सुरेश कुमार
माउंट आबू एक हिल स्टेशन के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन यहाँ धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी बहुत हैं जो मुझे अक्सर अपनी तरफ आकृष्ट करते हैं। इसलिए जैसे ही हमें समय मिलता है हम मित्र घूमने निकल जाते हैं। अरावली पर्वल माला की गोद में बसे माउंट आबू के पर्यटन स्थलों पर जाना वास्तव में बहुत रोचक है और वह रोचकता तब और बढ जाती है जब पर्यटन स्थल घने जंगल में हो। ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है गौमुख।
माउंट आबू शहर से बाहर ...दिशा में शहर से तीन किमी दूर स्थित है गौमुख। रविवार विद्यालय अवकाश को हम मित्रों का कोई न कोई भ्रमण हो ही जाता है। मित्र श्यामसुंदर दास, मनोज राजोरा, सुरेश कुमार और मैं गुरप्रीत सिंह। हम लगभग 12:20PM घर से यात्रा को निकले।
शहर से बाहर घुमावदार रास्ता, चारों तरफ पहाडियां, घनी हरियाली आदि मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। हम जैसे -जैसे मंजिल तरफ बढ रहे रास्ता वैसे-वैसे पहाङी पर चढता जा रहा था, ऊंचा होता जा रहा था। रास्ते में फोटो लेने के मजे भी गजब थे। जैसे ही कोई अच्छा दृश्य दिखा सभी उस और हो लेते।
एक ऊंची पहाङी से गौमुख का रास्ता नीचे को उतरता है। अच्छी सड़क है तो पहाड़ी पर चढने का अहसास नहीं होता और उस पहाड़ी से लगभग पांच सात सौ से अधिक सीढियां उतरने पर गौमुख पहुंचे, हालांकि अधिकांश लोग सीढ़ियों की संख्या सात सौ से अधिक बताते हैं। लेकिन गौमुख जाने का उत्साह इन सीढ़ियों की परवाह कहां करता है। लेकिन गौमुख से वापस सीढियां चढने वालों के चेहरे इन यात्रा की मनाही करते नजर आये। हम उछलते-कूदते, फोटोग्राफी करते कब नीचे उतरे यह पता ही नहीं चला।