बुधवार, 2 जनवरी 2013

व्यक्तित्व

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ : एक संस्मरण

   23 सितम्बर 1908 को बिहार के सिमरिया ग्राम (जिला बेगूसराय) में जन्में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का व्यक्तित्व एवं काव्य
ओज, पौरुष और युगधर्म का दस्तावेज है। घर की आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्होंने ब्रिटिश सरकार की नौकरी की, पर अपने विद्रोही कवि को हमेशा मुखर रखा।
   जब 1935 में दिनकर जी की राष्ट्रीय भावों से परिपूर्ण कृति ‘रेणुका’ प्रकाशित हुई, तो इसकी सर्वत्र चर्चा हुई। इसकी प्रसिद्धि एवं राष्ट्रीयता से परिपूर्णता की खबर सरकार तक पहुँची तो दिनकर जी को बुलाया गया। मुजफ्फरपुर के तात्कालिक न्यायाधीश बौस्टेड के समक्ष दिनकर जी उपस्थित हुए।
   न्यायाधीश बौस्टेड ने पूछा, ‘‘क्या आप ‘रेणुका’ के लेखक हैं?’’
    दिनकर जी ने उत्तर दिया, ‘‘जी, हाँ।’’
    बौस्टेड ने पूछा, ‘‘आपने सरकार विरोधी कविताएं कयों लिखी हैं? पुस्तक प्रकाशन से पूर्व सरकार से अनुमति क्यों नहीं ली?’’
    दिनकर जी ने निर्भय स्वर में उत्तर दिया, ‘‘मेरा भविष्य साहित्य में है। अनुमति मांगकर प्रकाशन करवाने से मेरा भविष्य बिगड़ जाएगा। ‘रेणुका’ की कविताएं देशभक्ति पूर्ण हैं, सरकार विरोधी नहीं। क्या देशभक्ति अपराध है?’’
   बौस्टेड महोदय उनके उत्तर से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, ‘‘देशभक्ति अपराध नहीं है और वह कभी अपराध नहीं होगी।’’
    फिर दिनकर जी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई।


  • ग्राम व डाक- बगीचा, तह.-रायसिंह नगर, जिला-श्री गंगा नगर-335051 (राज.)

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