मनुष्य की हमेशा भविष्य जानने की प्रबल जिज्ञासा रही है।इसी जिज्ञासा ने भविष्य दर्शन की अनेक विधियोँ को जन्म दिया, जिनमेँ सबसे सरल विधि है हस्तरेखा देख कर भविष्य बताना।
वर्तमान मेँ हस्तरेखा देखने वालोँ की कमी नहीँ है।एक बङा सा विज्ञापन पट्ट,विषय संबंधित पुस्तकेँ,हाथ-गले मेँ विभिन्न प्रकार की मालाएँ, मस्तक पर तिलक कर कहीँ भी बैठ जाओ,लोग जरूर आएंगे।
हस्तरेखा विशेषज्ञ बनने हेतु उच्च शिक्षा भी जरूरी नहीँ,बस बात को घूमा-फिरा कर कहने की कला होनी चाहिए।आगंतुक को सर्वप्रथम दो-चार सामान्य सी बातेँ बता कर प्रभावित कर लेँ,जैसे-नामानुसार राशि, कुछ बातेँ बतायेँ-तुम आदमी तो ईमानदार हो,पर लोग तुम्हेँ धोखा दे देते हैँ,तुम्हारे पास रूपया रुकता नहीँ।अब न तो कोई स्वयं को बेईमान मानता है और रुपया तो आज तक किसी के पास नहीँ रुका।
अगर हाथ दिखाने वाला विद्यार्थी है तो उसे सरल सा उत्तर देँ, तुम मेहनत तो खूब करते हो पर परिणाम तुम्हारे अनुकूल नहीँ आता।तुम्हारे हाथ मेँ राजयोग है। नौकरी अवश्य मिलेगी।कोई भी विद्यार्थी यह नहीँ कहता कि मैँ मेहनत नहीँ करता, नौकरी के नाम पर वह प्रसन्न होगा।
अगर नौकरी पेशा व्यक्ति है तो उसे सकारात्मक एवं नकारात्मक का ऐसा जबरदस्त मिश्रण पिलाएं कि वह पक्का मूरीद बन जाए। तुम्हारा काम तो अच्छा है,पर मालिक थोङा नाराज रहता है। तुम्हारा स्वास्थ्य भी थोङा कमजोर है। शीघ्र ही एक अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। मालिक को तो आज तक कोई संतुष्ट नहीँ कर सका और अच्छी खबर बताने वाले को भी पता नहीँ वह बताए क्या। हवा मेँ तीर, लगे चाहे ना लगे।
कभी घरेलु किस्म की औरतेँ भी हाथ दिखाने आ जाती हैँ, जिनकी समस्याएँ भी वही सदियोँ पुरानी होती है। इनका हाथ देखना अति सरल श्रेणी मेँ आता है, इनके प्रश्न ज्यादा होते हैँ तो दक्षिणा भी काफी मिल जाती है। इन्हेँ सामान्य सा उत्तर देँ,औरत की प्रशंसा एवं परिवार की बुराई के साथ औरत के अस्वास्थ्य का मिश्रण कर देँ।
सबसे दुखपूर्ण हाथ देखना किसान और मजदूर का है।ऐसे हाथोँ मेँ कभी-कभी रेखाएं भी गायब होती हैँ और प्रश्नोँ मेँ गंभीर रूदन।ऐसे व्यक्तियोँ के प्रश्नोँ का उत्तर मानसिकता पढ कर,सकारात्मक रूप मेँ देना चाहिए ताकि इन्हेँ मानसिक संतुष्टि प्राप्त हो।
कभी-कभी गंभीर-उलझे हुए मामले भी आ जाते हैँ। उस वक्त सतर्क रहना चाहिए, क्योँकि ऐसे हाथ दिखाने वाले दो-चार हाथ भी दिखा जाते हैँ।
कुछ सामान्य सी बातेँ हमेशा याद रखनी चाहिए,जैसे-धन संबंधी परेशानी होगी, स्वास्थ्य खराब रहेगा, संबंधी धोखा दे सकते हैँ। लोग हमेशा इन नकारात्मक बातोँ से प्रसन्न रहते हैँ।परंतु सभी बाते नकारात्मक कहना उचित नहीँ।बीच-बीच सकारात्मक, उत्साहवर्धक बाते जरूर दोहराते रहेँ ताकि दान-दक्षिणा ज्यादा प्राप्त हो। निष्कर्ष मेँ कह सकते है कि हस्तरेखा देखना एक कला है अर्थात् हवा मेँ छोङा गया तीर है, निशाना अदृश है। निशाने का न बताने वाले को पता है न सुनने वाले को अतः दोनोँ ही संतुष्ट हैँ।
-त्रिवाहिणी(जीँद,हरियाणा) से प्रकाशित।
अप्रैल-जून-2013