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बुधवार, 16 दिसंबर 2020

आबू रोड़-नगरपालिका चुनाव-2020

 नगरपालिका चुनाव-2020
आबू रोड़, सिरोही


चुनाव किसी भी लोकतांत्रिक देश की रीढ है। जो‌ जनता‌ की उम्मीदों‌ को एक नया रूप देते हैं। लोकतांत्रिक देशों में चुनाव एक पर्व की तरह हैं, और इस में शिक्षक वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
मैंने अब तक चार अलग-अलग निकाय के चुनाव करवाये हैं और मतगणना भी।
    नगरपालिका चुनाव में यह मेरा पहला अनुभव है। आबू रोड़ नगरपालिका में मेरी डयूटी PO की रही।
दिनांक 10.12.2020 को प्राप्त आठ बजे हम टैक्सी द्वारा ट्रेनिंग स्थल सेठ मंगल चंद काॅलेज, सांतपुर, आबू रोड पहुंचे।
श्री संतोष गहलोत जी, शिवांश दीक्षित जी, हुकमचंद नामा, अवधेशराज पंवार आदि।
ट्रेनिंग का समय दस बजे था।
यह चुनाव कुछ इसलिए भी अलग था की 'कोविड-19' की वजह से कुछ अतिरिक्त सावधानी रखनी आवश्यक थी, दूसरा यह चुनाव छोटा सा ही था। क्योंकि नगरपालिका चुनाव का संबंध शहरी क्षेत्र से ही होता है। 

हमारी चुनाव टीम - आबू रोड़
हमारी चुनाव टीम- नगरपालिका आबूरोड़
ट्रेनिंग में मुझे मेरे चुनाव के साथी मिले।

1. शिव लाल -PO-1
2. शांति लाल- PO-2
3. जेठा लाल- PO-3
  और हमें जो बूथ मिला वह 'वैदिक कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय, दाया भाग-02, आबू रोड़' यह शहर के मध्य में स्थित एक अच्छा विद्यालय था।
  हम निर्धारण प्राप्त करने के पश्चात तय वाहन द्वारा अपने बूथ पर पहुंचे।
श्री वैदिक कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय - आबू रोड
  जैसा की हर चुनाव में होता है हमने वहाँ पहुंचने के पश्चात अपने बूथ का निरीक्षण किया और सब व्यवस्थाएं देखी।
  और हल्का सा आराम करने के पश्चात अपने बूथ और अन्य सामग्री को व्यवस्थित किया। वैसे भी इस चुनाव में कोई ज्यादा भारी काम नहीं था। कुछ लिफाफे सील करने थे और कुछ प्रपत्रों को पूर्ण करना था जो की रात को सोने से पूर्ण हमने सम्पन्न कर दिया था।
दिनांक 11.12.2020
सुबह हम लगभग पांच बजे उठ गये थे। क्योंकि इस विद्यालय में चार बूथ थे, और दैनिक निवृत्ति और स्नान आदि की समय लग सकता था।
   हालांकि यहाँ सब व्यवस्थाएं ठीक थी पर सुबह नहाने के लिए पानी ठण्डा ही मिला।
चुनाव का समय आठ बजे से पांच बजे का था।
7:20 पर हमने माॅक पाॅल आरम्भ कर दिया था।
एक तो इस चुनाव में कोविड-19 के चलते सभी बूथों पर मतदाताओं की संख्या कम रखी गयी थी हमारे पास कुल पांच सौ मतदाता ही थे।
दूसरा चुनाव प्रत्याशी भी नोटा सहित तीन थे। इसलिए ज्यादा काम भी न था।
  धीमी गति से और निर्धारित तरीके से मतदान होता रहा। शहरी चुनाव में एक विशेषता यह है की आपको मतदाता को ज्यादा समझाना नहीं पड़ता। ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्ग मतदाता EVM मशीन के बटनों को नहीं समझ पाते तो बहुत परेशानी होती है।
   लगभग चुनाव के दौरान कुछ न कुछ रोचक घट ही जाता है, हालांकि तत्काल तो वह घटनाएं चुनाव कार्य को बाधित करती हैं पर समय बीत जा‌ने पर वहीं घटनाएं रोचक प्रतीत होती हैं।
  ऐसी ही एक घटना साथ वाले बूथ पर घटित हुयी। एक शिक्षित और उम्रदराज बुजुर्ग मतदान बूथ पर आया लेकिन उसके पास कोई पर्ची आदि न थी।
PO प्रथम ने जब पर्ची मांगी तो उसने कहा की उसके पास कोई पर्ची नहीं।
जब उस से मतदाता क्रमांक,भाग संख्या इत्यादि मांगा गया तो उसने उत्तर दिया यह आपका काम है आप वोटर लिस्ट में मेरा नाम ढूंढो।
   सैकण्डों मतदाताओं के मध्य किसी का नाम ढूंढना आसान काम नहीं और अगर ऐसे नाम ढूंढे तो मतदान तो होगा ही नहीं।
PO प्रथम ने फिर निवेदन किया की बाहर बैठे BLO से संपर्क कर लो वह आपको सारी जानकारी दे देगा पर वह बुजुर्ग कहां मानने वाले थे।
  वह तो जोर-जोर से चिल्लाते लगे और मतदानकर्मियों पर काम न करने का आरोप लगाने लगे।
  यह तमाशा काफी देर तक चला। आखिर पुलिस काॅनेस्टबल ने उसकी बाँह पकड़ कर बाहर का रास्ता दिखाया।
       शाम पांच बजे हमने पहले बूथ पर और बाद में अन्य PO साहबान और पुलिसकर्मियों‌ ने विद्यालय के मुख्य दरवाजे पर चुनाव बंद होने की घोषणा की, जो की चुनाव प्रक्रिया का ही एक भाग है। इसके पश्चात मतदान स्थल और बूथ का दरवाजा बंद कर दिया जाया है।
  पांच बज कर दो मिनट पर हमने EVM बंद की और सील आदि की प्रक्रिया आरम्भ की। जब हमने सील आदि की प्रक्रिया सम्पन्न कर ली तो एक सज्जन आये और बोले मुझे -"वोट डालना है।"
हमनर उसे बताया की मतदान का अंतिम समय पांच बजे तक का था, तो वह वापस चले गये।
    मुझे समय नहीं आया की वह शख्स कहां से प्रकट हो गया। मुख्य गेट बंद था, गेट पर पुलिस भी उपस्थित थी। पर वह न जाने कहां से टपक गया।
  लगभग 6:30 पर हम निर्धारित वाहन द्वारा पुनः काॅलेज पहुँचे जहाँ EVM मशीनें जमा करवानी थी।
एक बात इस चुनाव में यह भी देखी की 'कोरोना' से बचाव के निर्देश तो दिये जाते हैं लेकिन उनकी पालना कम ही होती दिखी। इस चुनाव में भीड़ तो नाम मात्र की थी लेकिन व्यवस्था भी उसी ढर्रे की ही रही। जब EVM जमा करवा रहे थे तो वहाँ कोई कोई अतिरिक्त व्यवस्था न थी।
फिर भी भीड़ कम होने की वजह से कोई ज्यादा समय न लगा।
    तब तक अन्य साथी मित्र भी अपनी-अपनी सामग्री जमा करवा चुके थे और कुछ करवा रहे थे। हम लगभग आठ बजे वहाँ से मुक्त हो गये।
   हम काॅलेज के गेट तक पहुँच तब तक हमारी टैक्सी आ चुकी थी और हम उस में बैठकर माउंट आबू को रवाना हो लिये।
   इस चुनाव में हमारे शारीरिक शिक्षक अवधेश राज पंवार जी 'रिजर्व डयुटी' में ही रहे थे। 
  शिक्षक बंसत कुमार जी जो की आबू रोड़ के निवासी होने के कारण उनकी ड्यूटी नहीं लगी थी। इसलिए वे अपने स्वभावानुसार स्कूल के सभी साथियों से उनके बूथ पर जाकर मिलते रहे और नाश्ते की व्यवस्था भी की। हमारे बूथ पर तो उनके अन्य साथी भी कार्यरत थे।

ऊपर- सुरक्षाकर्मी, नीचे -ZO -विकास मीणा जी के साथ

10 दिसम्बर के प्रशिक्षण में गुरप्रीत सिंह, शिवांश दीक्षित, अवधेश सिंह, हुकम नामा, संतोष जी


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